चर्मरोग में सबसे आम बीमारी है फंगल इन्फेक्शन, जो गर्मी और बारिश में बहुत होता है। इसे साधारण भाषा में दाद भी कहते हैं। दाद एक प्रकार का चर्मरोग होता है, जो किसी भी प्रकार की क्रीम या दवा लगाने या खाने के बाद भी बार-बार हो जाता है, परंतु होम्योपैथी की दवाओं से यह कुछ ही समय में हमेशा के लिए ठीक हो जाता है। यह किसी को भी किसी भी उम्र में हो सकता है। यह शरीर के किसी भी भाग में हो सकता है। इसे रिंगवर्म भी कहते हैं। बारिश और गर्मी के मौसम में यह ज्यादा तेजी से फैलता है।
चर्मरोग के कारण
होम्योपैथिक चिकित्सक व केन्द्रीय होम्योपैथिक अनुसन्धान परिषद्, आयुष मंत्रालय (भारत सरकार) में वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य डॉ. ए.के. द्विवेदी के अनुसार चर्मरोग वैसे तो टीनिया नामक वायरस के कारण माना जाता है, परंतु होम्योपैथी के अनुसार शरीर में सोरा दोष माना जाता है शरीर के अलग-अलग जगह पर होने के कारण इसके अलग-अलग नाम है, जैसे शरीर में हैं तो टीनिया कार्पोरिस, सिर में है तो टीनिया केपेटिस, पैर में है तो टीनिया पेडिस, हाथों में है तो टीनिया मेनम आदि। यह बहुत तेजी से फैलने वाला रोग होता है। नमी या पसीने के कारण यह तेजी से फैलती है।
लक्षण
होम्योपैथिक इलाज
होम्योपैथिक दवाओं से दाद हमेशा के लिए ठीक हो जाता है। होम्योपैथी में रोगी की शारीरिक और मानसिक लक्षण के अनुसार दवा दे कर रोग को ठीक किया जाता है।
क्रासोबियम – यह त्वचा पर बहुत तेजी से काम करती है। पैर और जाघों में अत्याधिक खुजली होना। दाद से एक विशेष प्रकार की गंध वाला पानी निकलना। त्वचा, पपड़ी के रूप में निकलती है। यह दाद का पानी सुखाकर चर्म को रोग मुक्त करती है।
बेसिलिनम – फैफड़ों की पुरानी तकलीफ, रिंगवर्म, एक्जिमा, सांस संबंधित तकलीफ, गले की ग्लैंड्स बढ़ी हुई रहती है। चिड़चिड़ापन और डिप्रेशन रहे। (इस दवा को बार-बार रिपीट न करें)
ग्रेफैटिस – दाद या किसी भी प्रकार के चर्मरोग से पानी बहता रहे जो शहद के समान चिपचिपा हो। छोटी से छोटी चोट भी पक जाती है। त्वचा में दरारें पड़ जाती है। उंगलियों के नाखून काले हो जाते हैं और फट जाते हैं। चर्मरोग के साथ-साथ गले में कफ की तकलीफ हो। कब्ज की शिकायत रहे। त्वचा में रात को तकलीफ ज्यादा हो लेकिन ढक कर रखने से कम हो जाती है। सिर में खुजली हो।
क्रोटन-टिग - बहुत ज्यादा खुजली हो, खास कर जननागों में। खुजली के बाद दर्द हो। पानी भरे छाले हो, हेपिंस-जोस्टर, पस भरे दाने, कुछ भी खाते पीते ही दस्त लग जाए।
रस-टोक्स – त्वजा पर पानी भरे छाले हो जाते हैं। त्वचा लाल रंग की होती है। अत्याधिक जलन होती है। त्वचा सूख कर झरती है। बहुत ज्यादा खुजली होती है। अत्याधिक बेचैनी रहती है। त्वचा रोगों के साथ-साथ जोड़ों का दर्द होता है और बहुत ज्यादा नींद आती है।
Home | Set as homepage | Add to favorites | Rss / Atom
Powered by Scorpio CMS
Best Viewed on any Device from Smartphones to Desktop.
Comments (0 posted)
Post your comment