टॉन्सिलाइट और होम्योपैथी से उसका उपचार

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टॉन्सिलाइट और होम्योपैथी से उसका उपचार

धुनिक जीवन में टॉन्सिलाइटिस यानी गले की बीमारी प्रायः हर घर के कम से कम एक सदस्य खासकर बच्चों को जरूर परेशान करती है। लिहाजा घर के प्रत्येक सदस्य उसके इस रोग से उद्विग्न दिखाई पड़ते हैं।

टॉन्सिलाइटिस एक ऐसा दर्द है जो मुख्यतः होता बच्चों को है पर महसूस उनके माता-पिता को होता है। क्लिनिक पर आने वाले अधिकांश माता-पिता का दर्द यह होता है कि उनके बच्चे के गले मे सूजन है, दर्द है डॉक्टर को दिखाया था पर कोई आराम नहीं है। बच्चा कई दिनों से खाना नहीं खा पा रहा है। बार-बार बुखार आ जाता है। स्कूल नहीं जा पाता है। अंदर से कमजोर होता जा रहा है। डॉक्टर्स ने ऑपरेशन के लिए बोला है, परंतु इतने छोटे बच्चों का ऑपरेशन कैसे करा सकते हैं। केन्द्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद, आयुष मंत्रालय भारत सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य एवं इंदौर के वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. ए.के. द्विवेदी कहते हैं कुछ ऐसे ही सवाल होते हैं टॉन्सिलाइटिस से पीड़ित के अभिभावकों का। अभिभावक कहते हैं कि  एन्टीबायोटिक देने से भी ठीक नहीं हो रहा है अब तो बच्चा डॉक्टर के पास जाने से भी डरने लगता है। होम्योपैथिक दवाइयां जो की मीठी होती है और बच्चों को लेने में भी सुविधाजनक होती है। इसलिए आपके पास (होम्योपैथिक चिकित्सक) दिखाने आए हैं। ऐसा एक नहीं कई पालक प्रतिदिन क्लिनिक में आकर अपना दुःख व्यक्त करते हैं।

वास्तव में टॉन्सिलाइटिस का मतलब होता है टान्सिल्स में सूजन और सूजन के लिए ऑपरेशन कहां तक उचित है? जबकि यह आसानी से होम्योपैथिक दवाइयों से ठीक हो सकता है। बच्चों से लेकर बड़ी उम्र के मरीज भी टॉन्सिलाइटिस की समस्या लेकर क्लिनिक पर आते हैं और होम्योपैथिक दवाइयों से आशानुरूप परिणाम मिलते हैं।

कारगर उपचार

बेरायटा कार्ब - सर्दी लगने, मौसम परिवर्तन होने पर तालु ग्रंथि बढ़ जाए, बढ़ा टान्सिल लाल व गर्म महसूस हो, गले के चारों और गांठों की जंजीर बन जाए, ग्रंथियों को छूने से दर्द हो। जल्दी-जल्दी सर्दी लगे, ठोस पदार्थ न निगला जाए, दैहिक व मानसिक कमजोरी महसूस हो तो बेरायटा कार्ब का सेवन करें।

बेलाडोना - टान्सिल्स प्रदाह, काग के दोनों और तालु ग्रंथियों में सूजन, गले में लाली, सूखापन, जीभ में जलन व डंक मारने जैसा दर्द, लाल चेहरा, सिर में दर्द, गला छुआ न जाए, रोग का प्रभाव दायीं और ज्यादा हो तो बेलाडोना का सेवन उपयोगी सिद्ध हो सकता है।

मार्कबिन आयोड - गले में सूजनयुक्त दर्द, कुछ भी निगलना कष्टप्रद, गले में कुछ अटका या फंसा हुआ महसूस हो, बायां गला प्रभावित हो, गले में बलगम का स्त्राव हो या आवाज न निकले तो मार्कबिन आयोड नामक दवा उपयोगी रहती है।

काली म्यूर - गालों में लाली व सूजन हो, गुहायुक्त टान्सिलाइटिस हो, श्वास संबंधी समस्या हो, गले में स्लेटी धब्बे नजर आएं, कान से मवाद का स्त्राव हो तो काली म्यूर नामक दवा का सेवन कर सकते हैं।


नोटः- इस लेख में बताई गईं दवाओं के प्रयोग से पहले आप अच्छे होम्योपैथिक डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें। ताकि आपको आपनी बीमारी अथवा परेशानी का सही इलाज मिले और आपको राहत मिल सकें।