सबसे अधिक बरसात में प्रभावित करता है हेपेटाइटिस, इसलिए रहिए सतर्क

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सबसे अधिक बरसात में प्रभावित करता है हेपेटाइटिस, इसलिए रहिए सतर्क
हेपेटाइटिस एक जानलेवा बीमारी है, जिसका आतंक बरसात के मौसम में और अधिक बढ़ जाता है। इस मौसम में इस बीमारी से बचाव के लिए क्या करें, क्या नहीं...

बारिश के मौसम में कई बीमारियां होने की आशंका रहती है। हेपेटाइटिस इनमें प्रमुखता से शामिल है, जो काफी खतरनाक बीमारी है। यह एक वायरसजनित रोग है, जो आपके लिवर को नुकसान पहुंचाता है। अंतिम स्थिति में हेपेटाइटिस लिवर सिरोसिस और लीवर कैंस का कारण भी बनता है। हेपेटाइटिस को एड्स से भी ज्यादा घातक रोग माना जाता है। हेपेटाइटिस से मरने वालों की संख्या एड्स से मरने वालों की तुलना में 10 गुना अधिक बताई जाती है। भारत में हेपेटाइटिस के टीके उपलब्ध होने के बावजूद हर साल दो लाख से ज्यादा लोग हेपेटाइटिस की वजह से मरते हैं।

 बारिश में प्रभावित करने वाला हेपेटाइटिस

हेपेटाइटिस ए वायरल संक्रमण है, जो बारिश के कारण हुए संक्रमित भोजन अथवा पानी के सेवन से होता है। यह हमारे लीवर को प्रभावित करता है। हेपेटाइटिस ई बीमारी वैसे तो सालभर होती रहती है, लेकिन बरसात के मौसम में और बरसात खत्म होते ही इसका प्रकोप बहुत बढ़ जाता है। हेपेटाइटिस ई से बचने का एकमात्र उपाय स्वस्छ पानी पीना है। अगर संभव हो तो पानी को फिल्टर करने के बाद भी उबालकर ही पीना चाहिए, ताकि हेपेटाइटिस ई के विषाणुणों से पूरी तरह बचाव हो सके।

हेपेटाइटिस के लक्षण

इसके लक्षणों में उल्टी, बुखार और पीलिया होना शामिल हैं। हेपेटाइटिस ए और ई के लक्षण 15 से 30 दिनों के भीतर दिखाई देने शुरू होते हैं। हेपेटाइटिस बी के लक्षण क्रमिक होते हैं। जी मिचलाना, भूख कम लगना, पेट के ऊपरी दाहिने भाग में दर्द होना, पेशाब का गाढ़ा पीले रंग का होना, कुछ रोगियों के मल का रंग पीला होना आदि प्रमुख हैं।

क्या है उपचार

आपको किस प्रकार का हेपेटाइटिस है, इस बात पर उपचार का विकल्प निर्धारित होता है। यह देखना होता है कि संक्रमण तीव्र है या फिर पुराना। हेपेटाइटिस ए और बी के अधिकतर मामलों में लक्षणों के आधार पर इलाज किया जाता है। जैसे बुखार के लिए अलग से दवा दी जाती है और पेट में दर्द के निवारण के लिए अलग से। जो रोगी क्रोनिक हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी से ग्रस्त हैं, उनका इलाज एंटी वायरल दवाओं (जिन्हें इंटरफेरन्स कहा जाता है) से किया जाता है। इस प्रकार लीवर सिरोसिस और लीवर कैंसर होने का जोखिम कम हो जाता है। हेपेटाइटिस बी या हेपेटाइटिस सी के कारण होने वाली लीवर की बीमारी की गंभीर अवस्था में लीवर ट्रांसप्लांट ही एकमात्र कारगर विकल्प होता है। हेपेटाइटिस डी का इलाज अल्फा इंटरफेरंस के इंजेक्शन से किया जाता है।

वैक्सीन पहले ही लगवाएं

हेपेटाइटिस ए और बी की रोकथाम के लिए वैक्सीन उपलब्ध है। नवजात बच्चों को ये वैक्सीन लगवानी चाहिए। फिलहाल हेपेटाइटिस ई से बचाव के लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है।

इनसे कैसे बचे रहें

बचाव के लिए पहले तो स्क्रीनिंग जरूरी है। एक साधारण खून की जांच से यह पता चल जाए कि आप इस संक्रमण से बचे हुए हैं। ऐसी स्थिति में कोई देरी किए बगैर टीका ले लें। खुद ही नहीं, परिवार के हर सदस्य को टीका लगवा दें, अगर वे सभी संक्रमण से बचे हुए हैं। आसपास का माहौल साफ-सुथरा रखें।

क्या खाए और क्या नहीं

  • आम, अंगूर, बादाम खाएं
  • गरम मसालेदार व भारी भोजन से बचें
  • शाकाहारी भोजन का सेवन करें
  • मैदा, पॉलिश्ड राइस व बहुत मात्रा में सरसों का तेल, डब्बाबंद खाद्य पदार्थ, हींग, मटर, पेस्ट्री, चॉकलेट, कोल्डड्रिंक के सेवन से बचें
  • गेहूं का आटा, आम, चावल, केले, टमाटर, आंवला, अंगूर, नींबू, सूखे खजूर, किशमिश, बादाम और इलायची का सेवन करना चाहिए
  • अनावश्यक व्यायाम व तनाव की स्थित से बचें