मध्यप्रदेश के 42 जिला अस्पतालों की सेहत बेहतर, पुरस्कार के लिए चुने गए

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मध्यप्रदेश के 42 जिला अस्पतालों की सेहत बेहतर, पुरस्कार के लिए चुने गए

- मप्र के 51 अस्पतालों में से किया गया है चयन, 26 जुलाई को मुख्यमंत्री भोपाल के कुशाभाई ठाकरे सभागार में इन पुरस्कारों का वितरण करेंगे

इंदौर। अस्पतालों की सेहत सुधारने के लिए भारत सरकार ने 2016 शुरू किए गए कायाकल्प पुरस्कार के लिए इस बार मध्यप्रदेश के 51 में से 42 अस्पताल को चुना है। जबकि पिछले साल सिर्फ 36 अस्पतालों को ही यह पुरस्कार मिला था। अन्य अस्पतालों को भी मिला लें तो इस बार प्रदेशभर में कुल 339 अस्पतालों को यह पुरस्कार मिलने जा रहा है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 26 जुलाई को भोपाल में कुशाभाई ठाकरे सभागार में इन पुरस्कारों का वितरण करेंगे। अस्पतालों में सफाई, संक्रमण रोकथाम, कर्मचारियों का प्रशिक्षण और अन्य मापदंडों पर 70 प्रतिशत से ज्यादा अंक लाने पर यह पुरस्कार दिया जाता है। सबसे अधिक नंबर लाने वाले जिला अस्पताल को 50 लाख रुपए सम्मान राशि मिलती है। बड़ी बात यह है कि राजधानी का जिला अस्पताल होने के बाद भी जेपी अस्पताल पहले तीन अस्पतलाों में शामिल नहीं है। पहले नंबर पर विदिशा, दूसरे पर देवास और तीसरे पर सतना है।

6 श्रेणी में 250 बिंदुओं पर किया जाता है मूल्यांकन

कायाकल्प पुरस्कार के लिए छह श्रेणी में 250 बिंदुओं पर मूल्यांकन किया जाता है। मरीज को अच्छा वातावरण, ओपीडी में सुविधाएं, जांच, दवा वितरण में कम समय, बिल्डिंग का रखरखाव, संक्रमण रोकथाम व बायोमेडिकल वेस्ट का निपटान, सहायक सेवाएं, मूलभूत सुविधाएं, पेयजल, बैठक व्यवस्था शौचालय, पंखें, कूलर, एसी आदि की व्यवस्था व प्रोटोकाल देखा जाता है।

12 जिला अस्पतालों को नेशनल क्वालिटी एश्यारेंस स्टैंडर्ड प्रमाण-पत्र मिलेगा

विदिशा, उज्जैन, सिवनी व सतना के जिला अस्पताल के अलावा सीएसचसी, पीएचसी और सिविल अस्पताल मिलाकर प्रदेश में 12 जिला अस्पतालों को नेशनल क्वालिटी एश्यारेंस स्टैंडर्ड प्रमाण-पत्र मिलेगा। इस मापदंड में 70 प्रतिशत से ज्यादा अंक लाने वाले अस्पतालों को हर साल प्रति विस्तार 10 हजार रुपए प्रोत्साहन राशि दी जाती है। लेकिन भोपाल का जेपी अस्पताल इससे भी बाहर है। गौरतलब है कि जो राशि मिलते हैं उनमें जिला अस्पताल को पहली 50 लाख, दूसरी 20 लाख व तीसरी 10 लाख रु है। वहीं सिविल अस्पताल को पहली 10 लाख, दूसरी 5 लाख व तीसरी में कुछ नहीं। इसी तरह पीएचसी को पहली 2 लाख, दूसरी 50 हजार व तीसरी में कुछ नहीं मिलती।