रजोनिवृत्ति से अनेक लक्षणों का संबंध जोड़ा जाता है। डिम्ब ग्रंथि के कार्य की क्षति से होने वाले लक्षणों और उम्र बढऩे की प्रक्रिया से होने वाले या प्रौढ़ जीवन के वर्षों के सामाजिक वातावरणगत तनावों से पैदा होने वाले लक्षणों के बीच अक्सर कम ही भेद किया जाता है। उम्र बढऩे के प्रभावों और रजोनिवृत्ति के प्रभावों के बीच भेद करना तो खास तौर पर कठिन है।
रजोनिवृत्ति के सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं-
हॉट फ्लश (उत्तापन या उत्तेजना)
हॉट फ्लश यानी अचानक उत्तापन और उत्तेजना और रात को पसीने से तरबदर हो जाना- ये शरीर की ताप-नियमनकारी प्रणाली में आने वाले विध्न हैं जो रजोनिवृत्ति की विशेषता हैं।
उत्तापन या उत्तेजना में चेहरे, गर्दन और छाती में अचानक गर्मी महसूस होने लगती है। इसका संबंध त्वचा के फैले हुए या चकत्तेदार रूप में लाल होने, अत्यधिक पसीना आने और अक्सर धडकन बढ़ जाने, चिडचिडापन और सिरदर्द से है। शुरू में शरीर के ऊपरी भाग में गर्मी महसूस होती है और फिर वह पूरे शरीर के ऊपर से नीचे तक फ़ैल जाती है। इस उत्तेजना का संबंध शारीरिक बेचैनी से है और यह लगभग 3 मिनट तक रहती है।
जो महिलाएं दोनों डिम्ब ग्रंथियों को शल्य चिकित्सा द्वारा निकलवा कर उत्प्रेरित रजोनिवृत्ति प्राप्त करती हैं,उनमें स्वाभाविक रजोनिवृत्ति वाली महिलाओं की तुलना में यह उत्तेजना अधिक गंभीर और तीव्र होती है।
ये वैसोमीटर यानी वाहिका उत्प्रेरक संबंधी लक्षण हार्मोनों से संबंधित हैं और कुछ सप्ताहों से ले कर कुछ वर्षों तक बीच-बीच में हो सकते हैं।
रजोनिवृत्ति के तत्काल पहले की अवधि में मासिक धर्म संबंधी परिवर्तन अधिकतर महिलाओं में रजोनिवृत्ति की ओर बढऩे का पहल संकेत होता है मासिक धर्म के चक्र में बदलाव आना। रजोनिवृत्ति की ओर बढऩे के दौरान मासिक धर्म के रूप में बदलाव आता है। खून का निकलना अनियमित हो जाता है जिसका कारण हार्मोन स्तर में होने वाले उतार-चढ़ाव होते हैं। कुछ महिलाओं की माहवारी अचानक रूक जाती है। कुछ महिलाओं को माहवारी पहले से अधिक बार होने लगती है, कुछ अन्य महिलाओं को बीच-बीच में मासिक धर्म नहीं होता या काफी देर के बाद होता है, कुछ महिलाओं के मामले में माहवारी की अवधि छोटी हो जाती है, और खून भी कम निकलता है या फिर थक्कों के साथ काफी गाढ़ा खून निकलता है। इस तरह का उतार-चढ़ाव रजोनिवृत्ति से पूर्व एक वर्ष या उससे भी अधिक समय तक आते रह सकते हैं पर इस अवधि में खून बहने और किसी संभावित रूप से गंभीर वजह से खून बहने के बीच अंतर करना जरूरी है। इसलिए रजोनिवृत्ति से तत्काल पहले की अवधि में महिला के लिए जाँच कराना जरूरी है ताकि खून बहने के अगर कोई रोग- संबंधी कारण हों तो उनका पता लगाया जा सके।
प्रौढ़ आयु की, अनियमित मासिक धर्म वाली महिलाओं को गर्भधारण का खतरा तब तक बना रहता है, जब तक कि उन्हें औसतन 24 महीने तक मासिक धर्म न हो।
रजोनिवृत्ति के बाद खून बहना
रजोनिवृत्ति के एक वर्ष बाद योनि से खून निकलने को उत्तर - रजोनिवृत्ति रक्तस्राव कहते हैं। इस रक्तस्राव के अनेक कैंसरकारी और गैर कैंसरकारी कारण हो सकते हैं। रजोनिवृत्ति के बाद योनि से खून बहने के महत्वपूर्ण असाध्य (कैंसरकारी) कारण इस प्रकार हैं- गर्भाशय की ग्रीवा (सर्विक्स) का कैंसर, एंडोमीट्रियम (गर्भाशय अस्तर) का कैंसर, योनि का कैंसर, डिम्बग्रन्थि का कैंसर। अत: रजोनिवृत्ति के एक वर्ष बाद योनि से किसी भी प्रकार का रक्तस्राव हो तो उसकी पूरी जाँच जरूरी है यह जानने के लिए कि वह घातक तो नहीं है।
इसके लिए निम्न प्रकार की जांचें की जाती हैं:
कॉल्पोस्कोपी-गर्भाशय की ग्रीवा और पीछे की ओर वाली योनि की फोर्निक्स के लिए पेप स्मियर जाँच
गर्भाशय की ग्रीवा की बायोस्पी - आंशिक क्यूरेटेज (मूत्र अस्तर के टुकड़ों की हिस्टोपैथिलौजी द्वारा जाँच)
यदि डिम्ब ग्रंथि में मेलिग्नेंसी का संदेह हो तो अल्ट्रासोनोग्राफी और लेप्रोस्कोपी इस जाँच से जो पता चले उसके आधार पर जननांग के असाध्यकारी या साध्यकारी रोगों का इलाज किया जाना चाहिए।
यौन कार्य में विध्न - एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन और टेस्टोस्टेरॉन हार्मोंन का स्तर निम्न हो जाने के कारण कुछ महिलाओं की यौन दिलचस्पी कम हो जाती है। योनि के सूखेपन और अल्प संवहन के कारण, तथा बाद में योनि अस्तर के पतला हो जाने और योनि की क्षीणता की वजह से संभोग के दौरान दर्द होता है।
मूत्र संबंधी लक्षण - बढ़ती उम्र की महिलाओं में मूत्र संबंधी समस्याएँ समान्य बात हैं और वे रजोनिवृत्ति से तत्काल पहले के चरण में सामने आ सकती हैं। पेशाब जोर से आना, बार- बार आना, पेशाब रोकने में कठिनाई, आदि जैसे लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं। एस्ट्रोजन की कमी से मूत्र पथ संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
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