रजोनिवृत्ति एक समस्या

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रजोनिवृत्ति किसी भी महिला के जीवन में घटने वाली एक स्वभाविक घटना है। रजोनिवृत्ति का अर्थ है- डिम्बग्रन्थियों के कार्य में कमी के कारण मासिक धर्म का स्थायी रूप से रूक जाना। यह स्थिति डिम्ब ग्रंथियों द्वारा हार्मोंस एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरान के उत्पादन में कमी आने का परिणाम होती है। 

रजोनिवृत्ति होने पर क्या-क्या बदलाव आते हैं?

  • डिम्ब ग्रंथियों के काम न करने की वजह से रजोनिवृत्ति के समय महिला में अनेक परिवर्तन आते हैं। रजोनिवृत्ति से तत्काल पहले की अवधि और रजोनिवृत्ति के बाद की अवधि में अनेक हार्मोन संबंधी बदलाव आते हैं जो इस प्रकार हैं-
  • रक्त का एस्ट्रोजन स्तर कम हो जाता है।
  • रक्त में फोलिकल्स उत्प्रेरक हार्मोंस में उल्लेखनीय वृद्धि हो जाती है।
  • ल्यूटिनाइजिंग हार्मोंस की संख्या में वृद्धि हो जाती है।
  • टेस्टोस्टेरोन का स्तर गिर जाता है क्योंकि डिम्ब ग्रंथि इसका केवल 50प्रतिशत ही उत्पादित कर पाती है।
  • प्रोजेस्ट्रान हार्मोंस का स्तर अलग- अलग भी हो सकता है, और अलग-अलग नहीं भी हो सकता। इन हार्मोंस का स्तर दिन के समय, रजोनिवृत्ति के प्रकार, रजोनिवृत्ति के बाद के वर्षों की संख्या के अनुसार अलग-अलग हो सकता है।

रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं में अन्य शरीरिक बदलाव

ये बदलाव क्रमिक रूप से और गुपचुप तरीके से होते हैं तथा अलग- अलग व्यक्तियों को अलग-अलग हो सकते हैं। ये बदलाव मुख्य रूप से एस्ट्रोजन की कमी की वजह से होते हैं।

  • एस्ट्रोजन की कमी की वजह से त्वचा धीरे-धीरे अपने सब-क्यूटेनीयस वसा को त्यागने लगती हैं, और झुर्रीदार हो जाती है।
  • बाल सफेद होने लगते हैं और कभी- कभी एंड्रोजन (पुरूष हार्मोन) की सापेक्ष प्रमुखता की वजह से बालों का अत्यधिक उगना भी देखने में आता है।
  • स्तन-ऊतक में कमी आने से स्तनों की कठोरता कम हो जाती है।
  • जननांग क्षेत्र में वसा में कमी होने लगती है।
  • योनि-छिद्र संकुचित हो जाता है और योनि की झिल्ली पतली हो कर सूख जाती है। इससे यौन कार्य अधिक कठिन और कभी-कभी तो कष्टपूर्ण हो जाता है।
  • योनि संबंधी बदलावों की वजह से बेक्टीरिया का संक्रमण अधिक आसानी से हो सकता है।
  • गर्भाशय और उसकी ग्रीवा (सर्विक्स) धीरे - धीरे सिकुडऩे लगते हैं।
  • ग्रीवा-ग्रंथियां (सर्वाइकल ग्लैंड्स) स्राव छोडऩा बंद कर देती हैं।
  • गर्भाशय का अस्तर सूखने या घुलने लगता है।
  • कूल्हे का कोशिकीय ऊतक-अवलम्ब शिथिल पड़ जाता है इससे मूत्राशय और जननांग क्षेत्र में कम या अधिक मात्रा में अपकर्ष होता है।
  • मूत्र मार्ग और मूत्राशय में होने वाले परिवर्तनों से निचले मूत्र- पथ के संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
  • डिम्ब ग्रंथियां सिकुड़ जाती हैं और उनकी त्वचा खांचेदार बन जाती है।
  • मुख्यत: मेरुदंड और कूल्हे के घेरे में क्रमिक रूप से ऑस्टेओपोरेसिसी (यानी हड्डियों की क्षति) होने लगता है।

रजोनिवृत्ति की आयु

रजोनिवृत्ति की आयु भौगोलिक, नस्लीय, पोषण संबंधी और अन्य कारणों से अलग-अलग महिलाओं में अलग-अलग हो सकती है।
भारत और अन्य विकासशील देशों में रजोनिवृत्ति की औसत आयु 45 से 50 वर्ष के बीच होती है।
जो महिलाओं धूम्रपान करती हैं, जिन्होने कभी गर्भधारण नहीं किया और जो निम्न सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि से आती हैं,। उनकी रजोनिवृत्ति कम आयु में होने की संभावना रहती है। हाल में किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि जिन महिलाओं की माहवारी का चक्र 26 दिन से कम का होता है उनकी रजोनिवृत्ति अधिक लम्बे माहवारी चक्र वाली महिलाओं की तुलना में 1.4 वर्ष पहले हो जाती है रजोनिवृत्ति की अधिक आयु का सम्बद्ध दीर्घ आयु से जोड़ा जा सकता है। अधिकतर रिपोर्ट यह दर्शाती हैं कि विकसित देशों की महिलाओं से विकाशील देशों की महिलाओं की आयु प्रथम माहवारी के समय अधिक तथा रजोनिवृत्ति के समय कम होती है।

रजोनिवृत्ति की जानकारी

नियमित मासिक धर्म चक्र से लेकर मासिक धर्म के रूक जाने तक का सफर एकाएक खत्म हो जाए। ऐसा बिरले ही मामलों में होता है। ज्यादातर महिलाओं को पता चल जाता है कि रजोनिवृत्ति का वक्त नजदीक आ गया है। माहवारी के चक्र में बदलाव आने के साथ ही वे यह समझ लेती हैं। माहवारी में बदलाव का मतलब है कि वह नियमित न हो कर कभी-कभी हो या फिर काफी देर के बाद हो या खून चकतों के साथ काफी भारी मात्रा में हो।
रजोनिवृत्ति से जुड़े विभिन्न प्रमुख पहलुओं को दर्शाने वाले विभिन्न शब्द/शब्द समूह इस प्रकार हैं-

  • स्वाभाविक मेनोपॉज अर्थात रजोनिवृत्ति का अर्थ है डिम्ब ग्रंथियों के कार्य में कमी की वजह से माहवारी का स्थायी रूप से समाप्त हो जाना। यह माना जाता है कि स्वभाविक रजोनिवृत्ति लगातार बारह महीनों तक मासिक धर्म न होने के बाद होती है और इसका कोई अन्य स्पष्ट रोग वैज्ञानिक अथवा शारीरिकक्रिया वैज्ञानिक कारण नहीं होता।
  • पेरिमेनोपौज अर्थात रजोनिवृत्ति से तत्काल पहले की अवधि (जब रजोनिवृत्ति के नजदीक आने के लक्षण शुरू होते हैं) और रजोनिवृत्ति के बाद का एक वर्ष।
  • मेनोपॉज ट्रांजीशन अर्थात रजोनिवृत्ति संक्रमण अंतिम माहवारी की अवधि से पहले की अवधि को कहते हैं जब मासिक धर्म चक्र की अस्थिरता अक्सर बढ़ जाती है। संक्रमण का यह दौर औसतन 3 से 4 वर्ष तक का रहता है।
  • सर्जिकल मेनोपॉज अथवा अभिप्रेरित रजोनिवृत्ति का अर्थ है दोनों डिम्ब ग्रंथियों (गर्भाशय हटाने के साथ या उसके बिना) को शल्य चिकित्सा द्वारा निकाल देने या किमोथैरोपी अथवा रेडिएशन से डिम्ब ग्रंथियों के कार्य में चिकित्सा हस्तक्षेप करने के बाद माहवारी समाप्त होना।
  • सिंपल (सरल) हिस्ट्रेक्टामी (यानी गर्भाशय को हटाना)- इसमें केवल गर्भाशय को या एक डिम्ब ग्रंथि को हटाया जाता है।
  • पोस्ट मेनोपॉज यानी रजोनिवृत्ति- के बाद का समय। इसे अंतिम माहवारी के अवधि के बाद की अवधि के रूप में परिभाषित किया जाता है चाहे रजोनिवृत्ति प्रेरित हो या स्वभाविक हो।
  • समय से पहले रजोनिवृत्ति को ऐसी रजोनिवृत्ति के रूप में परिभाषित किया जाता है जो औसत अनुमानित रजोनिवृत्ति की आयु से कम आयु में होती है।
  • उदाहरण के लिए, विकाशील देशों में 40 वर्ष के आयु में रजोनिवृत्ति की आयु मान लिया जाता है। जिन महिलाओं को इस पहले रजोनिवृत्ति हो जाए उनके बारे में कहा जाता है कि उन्हें समय से पहले रजोनिवृत्ति (प्रीमेच्योर मेनोपॉज) हो गई है।