बीते कल से सीखिए सेहतमंद रहिए

Font size: Decrease font Enlarge font

आज पहले की तुलना में न सिर्फ बीमारियां बढ़ रही हैं बल्कि कौन-सी उम्र में क्या बीमारी होगी, इसका फर्क भी मिट रहा है। इसके लिए काफी हद तक हमारी जीवनशैली और खानपान में आ रहा बदलाव जिम्मेदार है। कैसे अपने बीते कल से सीखकर हम अपना आज सेहतमंद बना सकते हैं, जानें...
आज आठ साल का बच्चा शुगर का मरीज है...छह महीने की बच्ची कैंसर से जूझ रही है..तीस साल की महिला जोड़ों के दर्द से परेशान है...कभी सोचा है कि कल ऐसा क्यों नहीं था? कारण एकदम साफ है। समय की अंधी दौड़ में भागते-भागते हम पीछे मुड़कर देखना और सोचना भूल गए हैं। अगर हम ऐसा करते तो यकीनन जान पाते कि हमारी लगभग हर चीज में औषधीय गुण छिपे हैं। जरूरत है तो सिर्फ उस ओर रुख करने की। तो चलिए गौर करते हैं कुछ ऐसे ही बिंदुओं पर...

मोटा अनाज है जरूरी

क्या कभी सोचा है कि हमारे दादा-दादी के जमाने में ये मल्टीग्रेन आटा, मसाला ओट्स सरीखी चीजें नहीं होती थीं, फिर भी वो हमसे ज्यादा फिट कैसे रहते थे? आखिर क्यों हमें या हमारे अपनों को छोटी-सी उम्र में हाई बीपी, शुगर, कैंसर आदि बीमारियों से दो-चार होना पड़ रहा है? हमारी खुराक में शामिल अनाज से कैल्शियम, आयरन, फाइबर वगैरह दूर हो गए हैं। मौसमी फसल बाजरा, ज्वार आदि की जगह गेहूं और चावल ने ले ली है। नतीजा मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, शुगर तेजी से बढ़ रहा है। इस बाबत न्यूट्रीशनिस्ट बताते हैं कि पहले लोग मोटा अनाज यानी बाजरा, ज्वार, मकई आदि के आटे का प्रयोग मौसम के हिसाब से करते थे। ये अनाज कैल्शियम, आयरन, फाइबर, माइक्रो मिनरल के स्रोत हैं। पॉलिश वाले चमकदार चावल की जगह लोग सावां चावल सरीखे सुपाच्य चावल का प्रयोग करते थे।

मसालों में छिपी है दवा

छींक आने पर दादी के हल्दी वाले दूध के नुस्खे से तो अब वैज्ञानिक भी इत्तफाक रखते हैं। हल्दी में बहुत सारे गुण हैं। यह खून साफ करती है, सर्दी-जुकाम में राहत देती है। हल्दी कैंसर प्रतिरोधक के रूप में भी काम करती है। आपकी रसोई में इसके आलावा रोग प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा करने वाले और भी कई मसाले हैं। इनका इस्तेमाल आप रोज करती हैं। जैसे जीरा हमारे पाचन तंत्र को ठीक रखता है, काली मिर्च सांस संबंधी समस्याओं में कारगर होती है, मेथी मधुमेह को नियंत्रित करती है। अगर हम सिल और मिक्सी में पिसे मसालों की तुलना करें तो उसमें भी हमारा पुराना तरीका बेहतर साबित होता है। सिल में पिसा मसाला या चटनी न सिर्फ ज्यादा स्वादिष्ट होती है, बल्कि उसमें बट्टे से होने वाले घर्षण के कारण मसालों के पोषक तत्व पर भी असर नहीं पड़ता, जबकि मिक्सी में मसालों के पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं।

गुड़ है अच्छा

गुड़ की मिठाई-कभी कल्पना की है, नहीं तो करके देखिए। सेहत और स्वाद दोनों ही मिल सकेगा। गुड़ गन्ने के रस को पकाकर बनाया जाता है। इसमें आयरन, कैल्शियम, फास्फोरस, निकल सरीखे कई पोषक तत्व की भरपूर मात्रा होती है। गुड़ हिमोग्लोबिन का अच्छा स्त्रोत है, नर्वस सिस्टम को मजबूत करता है, पाचनतंत्र ठीक रखता है और खून को साफ करता है। जबकि साफ-सुथरी सफेद दिखने वाली चीनी हमें सिर्फ और सिर्फ कैलोरी देती है। नतीजा मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, हाई शुगर।

देसी है बेहतर

मिट्टी की सोंधी-सी महक। जिसने भी वो दौर देखा है वह हमेशा उसे याद करता है। विज्ञान भी मान चुका है कि मिट्टी के बर्तन में पके खाने में पोषक तत्व ज्यादा मात्रा में होते हैं। हमारे किचन में लोहे के तवे और कड़ाही की जगह नॉनस्टिक पैन ले ली है पर, असलियत यह है कि जल्द खाना बनाने के चक्कर में हम बीमारी को न्योता दे रहे हैं।