हिप्स यानि कुल्हों के दर्द में भी होम्योपैथी प्रभावी : डॉ. द्विवेदी

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हिप्स यानि कुल्हों के दर्द में भी होम्योपैथी प्रभावी : डॉ. द्विवेदी

हिप्स यानी कूल्हा शरीर का वह महत्वपूर्ण हिस्सा है जो मजबूत तो होता है लेकिन इस में मामूली टूटफूट भी आप की दिनचर्या को प्रभावित कर सकती है। हिप्स यानी कूल्हे में दर्द महिलाओं की आम परेशानी है। ज्यादातर महिलाएं डॉक्टर के पास तब जाती हैं जब दर्द के चलते घरेलू कामकाज करना भी मुश्किल हो जाता है। वरना वे लंबे समय तक उस से जूझती रहती हैं। शरीर का यह हिस्सा होता तो मजबूत है मगर इस की बनावट कुछ ऐसी है कि छोटी-छोटी चीजें इस के कामकाज में दिक्कत पैदा कर देती हैं और दर्द शुरू हो जाता है। अक्सर दर्द या तकलीफ देने वाला शरीर का यह हिस्सा आखिर है क्या-किन वजहों से हमें यहां परेशानियां होती है और उन के लिए हम क्या कर सकते हैं या हमें क्या करना चाहिए। यह शरीर का सब से बड़ा ज्वाइंट होता है। इस में एक खांचे (सौकेट) में नरम हड्डियां और कडक़ हड्डियां कुछ इस तरह से जुड़ी होती हैं कि वे आसानी से हिलडुल सकें। यहां एक तरह का फ्ल्यूड मौजूद होता है जो इस काम में मदद करता है। अगर आप के घर का दरवाजा बंद करने या खोलने पर आवाज करता है तो आप उस के कब्जों में थोड़ा मोबिल ऑयल डाल देते हैं, आवाज आनी बंद हो जाती है। बस, कुछ ऐसा ही है यह हिस्सा। यहां भी ढेर सारी मोबिल ऑयल जैसी चीजें होती हैं।

दर्द के कारण

होम्योपैथिक चिकित्सक व केन्द्रीय होम्योपैथिक अनुसन्धान परिषद्, आयुष मंत्रालय (भारत सरकार) में वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य डॉ. ए.के. द्विवेदी के अनुसार यह हिस्सा बहुत मजबूत होता है लेकिन इसमें टूटफूट भी होती है। उम्र और इस्तेमाल बढ़ने के साथ हिप्स की मसल्स भी कमजोर पड़ जाती है। यहां की नरम हड्डी कमजोर पड़ जाती है या उसमें टूटफूट आ जाती है। आप की मूवमैंट को स्मूथ बनाए रखने वाला चिपचिपा द्रव्य पदार्थ भी कम हो जाता है। कहीं जो से फिसल जाने में हिप की हड्डी में फ्रैक्चर भी आ सकता है। इन में से कोई भी चीज हिप्स में दर्द का कारण बन सकती है। यदि आप को अक्सर दर्द होता रहता है तो इन कारणों में से कोई एक बात हो सकता है।

अर्थराईटिस : हिप्स में दर्द का यह सब से बड़ा कारण है, खासकर उम्रदराज लोगों में। अर्थराईटिस आप के हिप्स ज्वाइंट में दर्द पैदा करता है। यह नरम हड्डी को काफी कमजोर कर देता है या तोड़ देता है। यह नरम हड्डी (कार्टिलेज) हिप्स की हड्डियों के लिए तकिए की तरह काम करती है। जैस-जैसे अर्थराईटिस बढ़ता है, दर्द बढ़ता है। महिलाओं को दर्द के साथ-साथ इस हिस्से में जकड़न भी महसूस होने लगती है।

हिप फ्रैक्चर : उम्रदराज लोगों में हिप फ्रैक्चर भी आमतौर पर सामने आता है। उम्र बढ़ने के साथ हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और वे चोट बरदाश्त नहीं कर पातीं। महिलाओं को अक्सर बाथरूम में गिरने की वजह से हिप फ्रैक्चर होता है।

टैंडन में चोट : टैंडन जिस्म की मसल्स को हड्डियों से जोड़ने वाली मजबूत रस्सी जैसी चीज होती है। यह काफी ताकतवर होती है। लेकिन अगर किसी झटके या लगातार किसी गलत मूवमैंट की वजह से इसे चोट पहुंच जाए तो यह काफी दर्द देती है। इस का दर्द मसल्स के मुकाबले देर से ठीक होता है।

मसल्स पेन : आप जो भी मूवमैंट करती हैं उस का भार मसल्स, टैंडन और लिगामैंट उठाते हैं। ज्यादा इस्तेमाल और वक्त के साथ ये कमजोर पड़ते जाते हैं और दर्द देना शुरू कर देते हैं। मसल्स में आई चोट या टूटफूट जल्दी भर जाती है, मगर लिगामैंट में कोई टूटफूट आ गई तो लंबे समय के लिए आराम देना पड़ता है। ज्यादा उम्र वाली महिलाओं में अगर लिगामैंट फ्रैक्चर की बात सामने आती है तो उन्हें लंबे समय तक आराम करना पड़ता है।

कैंसर : हड्डियों का कैंसर या हड्डियों तक पहुंच जाने वाला कैंसर शरीर की अन्य हड्डियों के साथ-साथ हिप्स में भी दर्द पैदा करता है। जांघों में, हिप्स के जोड़ों के भीतर, उन के बाहर की ओर और नितंबों में दर्द होता है। कभी-कभी बैकपेन यानी पीठदर्द और हर्निया की वजह से पैदा हुआ दर्द भी यहां तक पहुंच जाता है। अगर दर्द लगातार बढ़ रहा है तो ये आर्थ्राइटिस की निशानी हो सकती है। हलकी-फुलकी कसरत, स्ट्रैचिंग व्यायाम इस में मदद करते हैं। फिजियोथैरेपी भी ले सकते हैं। वैसे, स्विमिंग बहुत अच्छी कसरत होती है। यह हड्डियों पर ज्यादा दबाव नहीं डालती। दर्द से निजात पाने के लिए आप दर्द वाले इलाके पर 15 मिनट तक बर्फ रख कर सिंकाई करें। ऐसा आप दिन में 2-3 बार कर सकते हैं। होम्योपैथी दवाओं द्वारा दर्द, फैक्चर एवं सूजन में आराम आता है एवं बिना सर्जरी कराए भी व्यक्ति अपनी दिनचर्या सुचारू रूप से कर सकता है।