एनीमिया से बचने के नुस्खेः शहद, सोयाबीन गुड, हरी सब्जियां आदि का करें सेवन

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एनीमिया से बचने के नुस्खेः शहद, सोयाबीन गुड, हरी सब्जियां आदि का करें सेवन

शहद -  शहद आयरन, कॉपर और मेंगनीज का शक्तिशाली स्रोत है। इन सबके सेवन से खून की कमी दूर होती है। इसलिए शहद को एनीमिया के लिये शक्तिशाली इलाज माना जाता है। एनीमिया के इलाज के लिए आप शहद को सेब के टुकड़ों के साथ या फिर केले के साथ ले सकते हैं। एक गिलास पानी में नींबू का रस मिलाएँ और फिर इसमें 1 चम्मच शहद मिलाएँ। इस एक गिलास का हर रोज सेवन आपके खून की कमी से दूर रखेगा।

सोयाबीन - सोयाबीन आयरन और विटामिन से भरपूर होता है यह एनीमिया के रोगियों के लिए काफी लाभदायक होता है। इससे शरीर को लो फैट के साथ-साथ भरपूर प्रोटीन भी मिलता है। सोयाबीन को किसी भी तरह से अपनी डाइट में शामिल करने से एनीमिया से खुद को दूर रखा जा सकता है।

गुड़ -  खाने के बाद नियमित रूप से गुड़ का सेवन मात्र आपको एनीमिया से दूर रख सकता है। साथ ही एनीमिया के मरीजों के लिए भी गुड़ का सेवन बहुत लाभदायी होता है गुड़ में काफी मात्रा में आयरन होता है। "गुड़ जितना पुराना होगा उसके फायदे भी उतने ही ज्यादा होंगे।"

हरी सब्जियां- सब्जियां जैसे कि पालक, चुकंदर, ब्रोकोली, मेथी, अजमोदा और लौकी आदि आयरन से भरपूर सब्जियां हैं जो एनीमिया के इलाज में काफी असरदार हैं। ये सब्जियां ना केवल आयरन बल्कि विटामिन बी12 और फोलिक एसिड जैसे ऊर्जादायी पोषक तत्वों से भी भरी होती हैं, जो शरीर से एनीमिया ठीक करने के लिए काफी जरूरी होते हैं।

चुकन्दर का रस -  चुकंदर का रस आयरन से भरपूर रस है जिसे एनीमिया के शिकार रोगी थकान और आलस से दूर रहने के लिए टॉनिक की तरह ले सकते हैं। चुकन्दर के रस का स्वाद बनाने के लिए इसमें जरा सी शहद मिला लें और नियमित रूप से इसका सेवन करें

फलियाँ और मेवे -  एनीमिया के इलाज के लिए फल जैसे कि आयरन युक्त सेब का सेवन करना आपके लिए काफी उपयोगी होगा। एनीमिया के इलाज के लिए या तो सेब खा भी सकते हैं या फिर सेब के 100% प्योर जूस रस का सेवन भी कर सकते हैं। एनीमिया के इलाज के लिए असरदार फलों में आलूबुखारा, केले, नीबू, अंगूर, किशमिश, संतरे, अंजीर, गाजर, और किशमिश शामिल हैं। मेवे जैसे कि बादाम, साबुत अनाज, सूखे खजूर, मूंगफली और अखरोट आदि आपको एनीमिया से बचाते हैं।

अजवाइन -  अजवाइन भी आयरन और मैगनीशियम का काफी अच्छा स्त्रोत है। ये आयरन ब्लड में हीमोग्लोबिन के बनने में मदद करते हैं। इस प्रकार शरीर में ब्लड लेवल बढ़ाने के लिए अजवाइन काफी मददगार है। भोजन के बाद ली गई एक चम्मच अजवाइन भी आपकी काफी मदद कर सकती है

मेथी -  मेथी का इस्तेमाल हर भारतीय रसोई में होता है, फिर चाहे वो मेथी के बीज हों या फिर मेथी के पत्ते। इसकी पत्तियां और बीज दोनों ही शरीर में ब्लड लेवल बढ़ाने में सहायक होते हैं। यह विशेष रूप से कम उम्र की लड़कियों में माहवारी (पीरियड्स) के शुरू होने के कारण होने वाली खून की कमी को कम करता है। मेथी के दाने काफी कड़वे होते हैं, ऐसे में आप यदि इन्हें भूँनकर इस्तेमाल करेंगे तो ये आपको जरा कम कड़वे लगने लगेंगे।

टमाटर -  टमाटर विटामिन-सी और लाइकोपिन का काफी अच्छा स्त्रोत है। इसके साथ ही इसमें बीटा कैरोटीन और विटामिन-ई भी पाया जाता है। विटामिन-सी आयरन को एब्जार्ब करने में मदद करता है। इसका सलाद खाना या जूस आपको एनीमिया से बचा सकता है।

प्याज -  प्याज भी आयरन से भरपूर होती है। कच्ची प्याज के नियमित सेवन से शरीर में खून की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है।

तिल के बीज -  एक चम्मच तिल के बीज लें, इन्हें 2 घंटे के लिये पानी में भिगो दें। फिर पानी छान कर बीज को पीसकर पेस्ट बना लें। फिर इसमें 1 चम्मच शहद मिलाएं और दिन में इसे दो बार खाएं। यह आपके शरीर में ब्लड लेवल बढ़ाएगा।

एलोवेरा भी है लाभदायक - एलोवेरा खून की कमी में लाभदायक है। एलोवेरा नाश्ते के 30 मिनट पहले एलोवेरा जूस दिन में रोजाना लें।

आम - पका हुआ आम शायद ही कोई ऐसा इंसान होगा जिसे पका हुआ आम पसंद ना हो और फिर स्वाद और सेहत का इतना अच्छा कॉम्बिनेशन मिल जाए तो क्या कहना। पके हुए आम के गूदे को अगर मीठे दूध के साथ लिया जाए तो ब्लड में हीमोग्लोबिन लेवल बढ़ सकता है।

योगा करें-  बड़ी से बड़ी बीमारी का इलाज योगा के माध्यम से संभव है। योगा सूर्यनमस्कार, सर्वांगआसन, शवासन और पश्चिमोत्तानासन करने से पूरे शरीर में खून का फ्लो बढ़ जाता है। इसके अलावा गहरी सांस भरना और प्राणायाम करना भी लाभदायक होता है।

इनसे परहेज करें -  पाश्चुरीकृत दूध, कड़क कॉफी व चाय, रिफाइंड स्टार्च, खासकर मैदा, कैन में रखे, जलाए हुए, परिरक्षित, और अन्य तरह के प्रोसेस्ड आहार।

सलाह -  वैसे तो एनीमिया ज्यादातर पौष्टिक आहार लेने से ठीक हो जाता है, लेकिन कुछ प्रकार के एनीमिया में अलग-अलग तरह से उपचार कराने पड़ते हैं। ऐसे में सबसे ज्यादा जरूरी है डॉक्टरी परामर्श।