2 साल के बेटे को थी अप्लास्टिक एनिमिया की बीमारी, होम्योपैथिक इलाज से ठीक हो गई

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2 साल के बेटे को थी अप्लास्टिक एनिमिया की बीमारी, होम्योपैथिक इलाज से ठीक हो गई
दो साल के बेटे को हुई अप्लास्टिक एनिमिया बीमारी का पता लगने पर परिवार किन-किन परेशानियों से गुजरा और कहा-कहा अपने लाडले के इलाज के लिए भटका। और फिर इंदौर के डॉ. एके द्विवेदी से बेटा का होम्योपैथी इलाज करने से बेटे के ठीक होने पर परिवार के सदस्य कहा कहते हैं...वही बता रहे हैं शिवांश के पिता नीरज...

मैं नीरज कुमार, निवासी मौलाबाग, आरा भोजपुर बिहार का रहने वाला हूं। मैं अपने दो वर्षीय बेटे शिवांश कुमार की बीमारी के बारे में बताना चाहता हूं। कि बीमारी का पता लगने से लेकर किस परेशानियों के दौर से मेरा परिवार गुजरा है और आज होम्योपैथिक  इलाज की मदद से मेरा बेटा पुरी तरह स्वस्थ्य है।

मैं बताना चाहता हूं कि बात करीब 5 नवंबर 2020 की है। हम घर पर थे तभी बेटे शिवांश के मुंह से ब्लीडिंग हुई और शरीर पर ब्लैक स्पॉट दिखाई दिए। फिर एक दिन सुबह 7 बजे बेटा बेहोश हो गया। इस पर हम सभी घबरा गए और उसे तुरंत ही स्थानीय आरा में ही डॉक्टर सतीश सिन्हा के पास लेकर पहुंचे। जहां उन्होंने बेटे को देखा। इसके बाद उन्होंने बेटे की सीबीसी जांच करवाई। जिसमें हिमोग्लोबीन 5 Hb आया और प्लेटलेट 35 हजार था।

फिर इसी सीबीसी रिपोर्ट के आधार पर आरा में ही डॉ. जितेंद्र को बताया। उन्होंने सभी जांच रिपोर्ट देखने के बाद उसके आधार पर ब्लड व प्लेटलेट चढ़ाने का बोला। और बेटे शिवांश को एक यूनिट ब्लड चढ़ाया गया। लेकिन इसी दौरान डॉ. जितेंद्र ने जांच रिर्पोटों व चैकअप के आधार पर बेटे शिवांश को थैलेसिमिया होने की बात कही। इसके बाद से परिवार में बेटे को लेकर चिंता बढ़ने लगी। और हमने उसके इलाज और सही बीमारी का पता लगाने के लिए अनेकों डॉक्टर्स को बताया। हर डॉक्टर से मिलते और बेटा कैसे स्वस्थ हो इसके बारे में जानकारी लेते। हमें याद भी नहीं कि हम कितने डॉक्टर्स से मिले होंगे। और हमें इस दौरान हर दिन इलाज के रुपए और डॉक्टर्स से मिलने की फीस लग रही थी।

और इस बीच डॉ. हरिओम को दिखाया। उन्होंने पुरानी जांच रिपोर्ट देखऩे के बाद थैलेसमिया नहीं होने की बात कही। लेकिन बेटा स्वस्थ नहीं दिखाई दे रहा था। शरीर पर भी लगातार ब्लैक स्पॉट दिखाई दे रहे थे।

इस पर हमनें बेटे शिवांश को पटना ले जाकर वहां किसी डॉक्टर को दिखाने का निर्णय लिया। और पटना के डॉ. मदन से मिले और उन्हें बेटे के स्वास्थ्य के बारे में बताया और तबतक की गई सभी जांच रिपोर्ट दिखाई। उन्होंने सीबीसी जांच करवाई। तो इसमें बेटे का हिमोग्लोबीन 5.5 Hb और प्लेटलेट्स 30 हजार आई।

इस पर डॉ. मदन ने बेटे को पटना के ही कुर्जी हॉस्पिटल में भेजा। जहां बेटे को 5 दिन करीब भर्ती किया गया। और उसकी बीमारी को लेकर जांचें करवाई गई। और फिर संबंधित जांचें हो जाने के बाद बोन मैरे ट्रांसप्लांट की बात डॉक्टर्स द्वारा कही गई।

इस पर हम बेटे को लेकर दिल्ली पहुंचे और सफरदगंज हॉस्पिटल में दिखाया और वहां बेटे को भर्ती किया गया। एक महीने यहां भर्ती रहते हुए उसकी फिर से सभी तरह की जांचें की गई। और इन जांचों के बाद बेटे को अप्लास्टिक एनीमिया बीमारी की पुष्टि डॉक्टर्स द्वारा की गई।

बस यहीं से हमारे परिवार की परेशानियां बढ़ गई और बेटे के इलाज के लिए दिनरात एक कर दिया। एक मीडिल क्लास परिवार से होने के बाद भी बेटा स्वस्थ हो इसके लिए हर कोशिश शुरू कर दी।

और इधर बेटे को अप्लास्टिक एनीमिया होने की पुष्टि होने के बाद उसे हर 2 से 3 दिन के अंतराल में ब्लड और प्लेटलेट्स चढ़ाने का सिलसिला शुरू हुआ। और हर बार 30 से 40 हजार रुपए लगते। मीडिल क्लास हूं लेकिन बेटा किसी भी हाल में स्वस्थ हो जाए इसके लिए हर जगह से रुपए की व्यवस्था करता गया।

और बेटे को ब्लड व प्लेटलेट्स चढ़ाने का सिलसिला करीब डेढ़ माह तक चलता रहा। और इसी बीच हम बेटे को हुई अप्लास्टिक एनीमिया बीमारी ठीक हो इसके लिए डॉक्टर्स से सलाह लेते थे। तो सभी ने साफ कह दिया कि इस बीमारा इलाज किसी दवा से संभव नहीं है। इसका एक मात्र इलाज है बोनमैरो ट्रांसप्लांट। और वो भी मरीज की बहन का ही लगेगा।

फिर हम बेटे शिवांश की सभी जांच रिपोर्ट और उसे लेकर एम्स हॉस्पिटल पहुंचे और यहां डॉक्टर्स को दिखाया। लेकिन यहां भी डॉक्टर्स ने वहीं कहा कि अप्लास्टिक एनीमिया का इलाज किसी दवा से संभव नहीं है। इस बीमारी को ठीक करने का एकमात्र उपाय बोनमेरो ट्रांसप्लांट ही है। और फिर हम बेटे के इलाज के लिए डॉक्टर्स से लगातार संपर्क करते रहे और इलाज के बारे में पता कर जानकारी लेते। लेकिन सभी बोनमैरो ट्रांसप्लांट की बात कही।

और फिर बोनमैरो ट्रांसप्लांट का खर्च के बारे में जानकारी निकाली। तो पता चला के बोनमैरो ट्रांसप्लांट में 50-60 लाख रुपए तक या उससे ज्यादा भी लग सकते हैं। ऐसे में एक मीडिल क्लास फैमली होने के कारण बेटे की बीमारी के संबंध में इंटरनेट पर सर्च करना शुरू किया तो इंदौर स्थित एडवांस्ड होम्यो हेल्थ सेंटर के संचालक डॉ. एके द्विवेदी जी का यू-ट्यूब चैनल मिला जिस पर अप्लास्टिक एनीमिया से संबंधित इलाज और होम्योपैथिक दवा लेने से ठीक हुए मरीजों के इंटरव्यू थे। जिन्हें देखा और फिर डॉ. द्विवेदी जी के बारे में अपने परीचितों जो इंदौर में रहते हैं उनसे और अन्य लोगों से पता किया। तो सभी ने डॉ. द्विवेदी जी के बार में कहा कि वे अप्लास्टिक एनीमिया बीमारी के एक्सपर्ट है और उनके द्वारा किए गए होम्योपैथी इलाज से इस बीमारी के बहुत से मरीजों को पुरी तरह स्वस्थ होने का सिलसिला अनवरत जारी है।  इस पर डॉ. द्विवेदी जी का संपर्क नंबर  जुटाकर करीब मार्च 2021 में उनसे फोन पर ही संपर्क किया। और उस दौरान कोरोना संक्रमण का दौर होने से लॉकडाउन था तो डॉ. द्विवेदी जी ने बेटे की सभी जांच रिपोर्ट आनलाइन भेजने का कहा। और फिर डॉ. द्विवेदीजी द्वारा रिपोर्ट देखऩे बाद बेटे को वीडियोकॉल के माध्यम से देखा और हमें उसके इलाज का भरोसा दिलाते हुए पुरी तरह स्वस्थ करने की बात कही और होम्योपैथिक इलाज शुरू किया। तब हमनें बेटे की सीबीसी जांच कराई थी तो उसका हिमोग्लोबीन 5.5 से 6 Hb आया और प्लेटलेट्स 8 हजार से कम थी। वहीं डॉ. द्विवेदीजी के यहां से फिर दवाईयां भेजी गई और बेटे शिवांश का होम्योपैथिक दवा से इलाज शुरू हुआ।

और करीब 2 माह बाद बेटे को ब्लड का बहना रूक गया और ब्लैक स्पॉट भी कम होने लगे और नये ब्लैक स्पॉट नजर नहीं आ रहे थे। इससे हमें थोड़ी राहत मिली की बेटे का इलाज डॉ. द्विवेदी जी द्वारा किया जा रहा है और उसके स्वास्थ में सुधार भी हो रहा है।

इस बीच फिर से बेटे की सीबीसी जांच करवाई गई। तो उसमें हिमोग्लोबीन 7.5 Hb व प्लेटलेट्स 12000 पहुंच गई। और इस रिपोर्ट के बाद परिवार ने बेटे को लेकर बड़ी राहत महसूस की।  बेटे का होम्योपैथिक इलाज लगातार जारी रहा और उसके हिमोग्लोबीन व प्लेटलेट्स में भी लगातार बढ़ोत्तरी होती गई। आज वर्तमान में बेटा पुरी तरह स्वस्थ है और उसे ब्लड और प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत नहीं पढ़ रही है। और हम उसकी समय-समय पर जांच भी करता है। जिसमें सब नार्मल आ रहा है। 14 अप्रैल 2022 की रिपोर्ट में भी बेटे का हिमोग्लोबीन 12 Hb के करीब और प्लेटलेट्स करीब 75000 से ज्यादा आया। और अब बेटा पुरी तरह स्वस्थ है। हमारा परिवार डॉ. द्विवेदी जी द्वारा होम्योपैथिक दवा के माध्यम से बेटे की बीमारी का सफल इलाज होने से काफी प्रसन्न है। और मैं उन लोगों से कहन चाहता हूं जो इस अप्लास्टिक एनीमिया बीमारी से पीड़ित है वे भी होम्योपैथिक इलाज लें और इस अत्यंत कठिन बीमारी से छुटकारा पाए।

बेटे का सफल इलाज होने पर दूसरों को भी बताता हूं होम्योपैथी का इलाज

आपको एक बात और बताना चाहूंगा कि मेरे बेटे का सफल इलाज होने से मैं अब इस बीमारी से जुड़े लोगों के बीच डॉ. एके द्विवेदी के बारे में बताता हूं। मैंने गाजियाबाद के रहने वाले 10 साल के माधव शर्मा के परिजनों को भी डॉ. द्विवेदी से इलाज लेने का बोला था। क्योंकि माधव के लिए भी डॉक्टर ने बोनमैरो ट्रांसप्लांट ही बीमारी का अंतिम उपाय बताया था। और उसकी तो एटीजी तक हो गई थी। लेकिन उसकी बहन छोटी होने से वो बोनमैरो नहीं दे सकती थी। ऐसे में मेरे द्वारा डॉ. एके द्विवेदी से इलाज करवाना बताया था तो उन्होंने डॉ. द्विवेदीजी से इलाज शुरू किया। आज माधव पुरी तरह स्वस्थ है और उसे बोनमैरो ट्रांसप्लांट की आवश्यकता भी नहीं है। और उसका हिमोग्लोबीन और प्लेटलेट्स भी लगातार बढ़ रहा है।
- शिवांश कुमार, पिता नीरज कुमार मौलाबाग, आरा भोजपुर बिहार