बच्चों में पेट का संक्रमण; शिशु को दस्त यानी डायरिया है या वह उल्टी कर रहा है तो हो सकता है उसे गैस्ट्रोएंटेराइटिस हो

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बच्चों में पेट का संक्रमण; शिशु को दस्त यानी डायरिया है या वह उल्टी कर रहा है तो हो सकता है उसे गैस्ट्रोएंटेराइटिस हो

पेट में इंफेक्शन जिसे अंग्रेजी में स्टमक फ्लू (गैस्ट्रोएंटेराइटिस) कहा जाता है, पाचन तंत्र की परत में सूजन की वजह से होता है। यदि आपके शिशु को दस्त (डायरिया) है या वह उल्टी कर रहा है, तो हो सकता है उसे गैस्ट्रोएंटेराइटिस हो।

पेट में इनफेक्शन को स्टमक फ्लू, गैस्ट्रोएंटेराइटिस या जठरांत्रशोथ कहा जाता है। इसे 'डी और वी' नाम से भी जाना जाता है, जो कि डायरिया (दस्त) और वॉमिटिंग (उल्टी) के संक्षिप्त शब्द हैं। गैस्ट्रोएंटेराइटिस संक्रमणों के एक समूह का नाम है, जिससे निम्न लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं-

  • पेट में दर्द
  • पानी जैसा पतला मल, दिन में कम से कम तीन बार (डायरिया)
  • उल्टी
  • बुखार
  • ठंड व कंपकंपी लगना और दर्द होना
  • भूख कम लगना

अधिकांश शिशुओं और बच्चों को साल में कम से कम एक बार तो पेट में गड़बड़ होती ही है। इसकी वजह से दस्त और कई बार उल्टी भी हो सकती है। यह आमतौर पर केवल कुछ ही दिन रहता है और अक्सर चिंता का विषय नहीं होता। हालांकि, कुछ मामलों में यह बीमारी एक हफ्ते या इससे भी लंबे समय तक बनी रह सकती है। पर्याप्त तरल पदार्थ और प्यारभरी देखभाल से अधिकांश बच्चे जल्द ही सामान्य हो जाते हैं।

इनफेक्शन या गैस्ट्रोएंटेराइटिस के कारण

विषाणु अधिकांशत: इसकी वजह होते हैं और सबसे आम है रोटावायरस। यह विषाणु आसानी से फैलता है और दूसरे लोगों के संपर्क में आने से भी हो सकता है। आपके शिशु ने शायद विषाणु से संक्रमित भोजन खाया होगा या विषाणु से संक्रमित व्यक्ति के कप या बर्तनों का इस्तेमाल किया होगा। शिशु को यह बीमारी मल से दूषित किसी चीज को छूने और फिर वही हाथ मुंह में लेने से भी हो सकती है।

अन्य मामलों में इसका कारण भोजन विषाक्तता पैदा करने वाले जीवाणु भी हो सकते हैं, जैसे कि साल्मोनेला, शिगेला, स्टेफिलोकोकस, कैंपिलोबे€टर या ई. कोली। जिआरडिया या क्रिप्टोस्पोरिडियम जैसे परजीवी भी गैस्ट्रोएंटेराइटिस की वजह हो सकते हैं। कुछ बच्चों को फ्लू होने पर भी डायरिया व उल्टी हो सकती है। यदि आपके बच्चे के लक्षणों की भी यही वजह है, तो गैस्ट्रोएंटेराइटिस के संकेतों के साथ-साथ आपके शिशु को निम्न लक्षण भी हो सकते हैं-

  • बुखार
  • श्वास संबंधी लक्षण जैसे कि खांसी या गले में
  • खराश
  • ठंड व कंपकंपी लगना और थकान
  • नाक बहना
  • सिरदर्द
  • शरीर और जोड़ों में दर्द

लक्षण आमतौर पर विषाणु के संपर्क में आने के चार से 48 घंटों के भीतर दिखाई देने लगते हैं और सामान्यत: कुछ दिनों तक बने रहते हैं। गंभीर मामलों में ये लक्षण सात दिनों या इससे भी अधिक समय के लिए रह सकते हैं। अनन्य स्तनपान (एक्सक्लूसिव ब्रेस्टफीडिंग) करने वाले शिशुओं को गैस्ट्रोएंटेराइटिस होने की संभावना फॉर्मूला दूध पीने वाले या ठोस आहार खाने वाले शिशुओं की तुलना में कम होती है। मुझे शिशु के पेट के संक्रमण का उपचार कैसे करना चाहिए? पेट में गड़बड़ी होने पर खूब सारा तरल पदार्थ लेना सबसे महत्वपूर्ण है। यदि शिशु को गैस्ट्रोएंटेराइटिस है, तो उसके शरीर में पानी की कमी होने का खतरा रहता है। जब तक शिशु जलनियोजित बना रहेगा, वह इनफेक्शन से लड़ सकेगा।

यदि आपका शिशु स्तनपान करता है, तो उसे बार-बार स्तनदूध पीने दें। स्तनदूध उसे जलनियोजित रहने में मदद करेगा। साथ ही इसमें रोगप्रतिकारक (एंटीबॉडीज) होते हैं, तो इनफेक्शन से लड़ने में मदद करते हैं। जब शिशु बेहतर महसूस करे और उसे भूख लगे, तो उसे सामान्य आहार दिया जा सकता है। यदि आपका शिशु छह महीने का है, तो उसे जलनियोजित रखने के लिए आप निम्न चीजें दे सकती हैं-

  • पानी
  • ओरल रीहाइड्रेशन सोल्यूशन (ओआरएस)
  • नारियल पानी
  • छाछ
  • पानी मिलाकर पतला किया गया अनार या सेब का रस
  • चावल का पानी (कांजी)
  • नींबू पानी
  • लस्सी

शिशु को गैस्ट्रोएंटेराइटिस होने पर डॉक्टर से कब संपर्क करना चाहिए?

जब भी आपको लगे कि शिशु की तबियत ठीक नहीं है, तो हमेशा उसके डॉक्टर से बात करनी चाहिए। खासकर यदि शिशु की उम्र छह महीने से कम हो। यदि आपका शिशु बहुत अधिक उल्टी कर रहा है और साथ में डायरिया भी है, तो डॉक्टर उसे ओआरएस का घोल देने की सलाह दे सकते हैं। यह घोल पूरे दिन छोटे-छोटे घूंट में उसे पिलाती रहें, ताकि वह जलनियोजित रहे।

डॉक्टर शिशु की उम्र और वजन के आधार पर बताएंगे कि उसे कितनी मात्रा में यह घोल पीना है। साफ, उबालकर ठंडे किए गए पानी से यह घोल तैयार करें और पैकेट पर दिए गए निर्देशों का पालन करें। यदि डॉक्टर निर्जलीकरण के स्तर को लेकर चिंतित हैं, तो आपके शिशु को अस्पताल में भर्ती भी किया जा सकता है। उसे जलनियोजित करने के लिए ड्रिप लगाई जा सकती है।

निम्न स्थितियों में बच्चे को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं

  • शिशु निर्जलीकृत हो रहा है
  • उसे 101 डिग्री फेहरनहाइट से ज्यादा बुखार है
  • दो दिन से भी ज्यादा समय से उल्टी कर रहा है
  • उसके मल में खून आ रहा है
  • उसके पेट में सूजन है और पेट कड़ा हो रहा है
  • वह दिन में 10 या इससे ज्यादा बार मलत्याग कर रहा है
  • उसे हरी (पित्त वाली) उल्टी हो रही है